जय जय सुरनायक जनसुख दायक प्रनतपाल भगवंता
गोद्विज हितकारी जय असुरारी सिन्धुसुता प्रियकंता १
पालन सुर धरनी, अद्भुत करनी, मर्म न जानत कोई
जो सहज कृपाला दीना दयाला, करउ अनुग्रह सोई २
जय जय अबिनासी, सब घट बासी, ब्यापक परमानंदा
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं, माया रहित मुकुंदा ३
जेहि लागि बिरागी, अति अनुरागी, बिगत मोह मुनि ब्रिंदा
निसिबासर ध्यावहिं मुनिमन गावहीं जयति सच्चिदानंदा ४
जेहि सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानेउ भगति न पूजा ५
जो भवभयभंजन मुनिमनरंजन गंजनबिपतिबरूथा
मनबचक्रमबानी छाडिसयानी सरन सकलसुरजूथा ६
सराद्श्रुतिसेषा रिषयअसेषा जा कहु कोऊ नहिं जाना
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्री भगवाना ७
भवबारिधिमंदर सबबिधिसुंदर गुणमंदिरसुखपुंजा
मुनिसिद्धसकलसुर परमभायातुर नामत नाथ पद कंजा ८
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