Wednesday, February 11, 2009

Shri Vishnu Stuti

श्रीहरि विष्णु भागवानजी की स्तुति

जय जय सुरनायक जनसुख दायक प्रनतपाल भगवंता

गोद्विज हितकारी जय असुरारी सिन्धुसुता प्रियकंता १

पालन सुर धरनी, अद्भुत करनी, मर्म न जानत कोई

जो सहज कृपाला दीना दयाला, करउ अनुग्रह सोई २

जय जय अबिनासी, सब घट बासी, ब्यापक परमानंदा

अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं, माया रहित मुकुंदा ३

जेहि लागि बिरागी, अति अनुरागी, बिगत मोह मुनि ब्रिंदा

निसिबासर ध्यावहिं मुनिमन गावहीं जयति सच्चिदानंदा ४

जेहि सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा

सो करउ अघारी चिंत हमारी जानेउ भगति न पूजा ५

जो भवभयभंजन मुनिमनरंजन गंजनबिपतिबरूथा

मनबचक्रमबानी छाडिसयानी सरन सकलसुरजूथा ६

सराद्श्रुतिसेषा रिषयअसेषा जा कहु कोऊ नहिं जाना

जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्री भगवाना ७

भवबारिधिमंदर सबबिधिसुंदर गुणमंदिरसुखपुंजा

मुनिसिद्धसकलसुर परमभायातुर नामत नाथ पद कंजा ८

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